श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 31: रावण का अकम्पन की सलाह से सीता का अपहरण करने के लिये जाना और मारीच के कहने से लङ्का को लौट आना  »  श्लोक 2
 
 
श्लोक  3.31.2 
 
 
जनस्थानस्थिता राजन् राक्षसा बहवो हता:।
खरश्च निहत: संख्ये कथंचिदहमागत:॥ २॥
 
 
अनुवाद
 
  "राजन्! जनस्थान के बहुत से राक्षस युद्ध में मार डाले गये हैं। खर भी युद्ध में मारा गया। मैं किसी तरह जान बचाकर यहाँ आया हूँ।"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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