वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 31: रावण का अकम्पन की सलाह से सीता का अपहरण करने के लिये जाना और मारीच के कहने से लङ्का को लौट आना
»
श्लोक 19-20
श्लोक
3.31.19-20
येन येन च गच्छन्ति राक्षसा भयकर्षिता:॥ १९॥
तेन तेन स्म पश्यन्ति राममेवाग्रत: स्थितम्।
इत्थं विनाशितं तेन जनस्थानं तवानघ॥ २०॥
अनुवाद
play_arrowpause
जैसे-जैसे भयभीत राक्षस इधर-उधर भागते थे, वैसे-वैसे उन्हें हर जगह श्रीराम ही खड़े दिखाई देते थे। हे निष्पाप! इस प्रकार श्रीराम ने अकेले ही आपके जनस्थान का विनाश कर दिया है।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.