श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 30: श्रीराम के व्यङ्ग करने पर खर का उनके ऊपर साल वृक्ष का प्रहार करना, श्रीराम का तेजस्वी बाण से खर को मार गिराना  »  श्लोक 8
 
 
श्लोक  3.30.8 
 
 
प्रवृद्धनिद्रे शयिते त्वयि राक्षसपांसने।
भविष्यन्ति शरण्यानां शरण्या दण्डका इमे॥ ८॥
 
 
अनुवाद
 
  तेरी तरह राक्षस-वंश के कलंक के सदा के लिए गहरी नींद में सो जाने पर ये दण्डकवन के प्रदेश शरण में आने वालों को शरण देने वाले हो जाएँगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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