श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 30: श्रीराम के व्यङ्ग करने पर खर का उनके ऊपर साल वृक्ष का प्रहार करना, श्रीराम का तेजस्वी बाण से खर को मार गिराना  »  श्लोक 7
 
 
श्लोक  3.30.7 
 
 
पांसुरूषितसर्वाङ्ग: स्रस्तन्यस्तभुजद्वय:।
स्वप्स्यसे गां समाश्लिष्य दुर्लभां प्रमदामिव॥ ७॥
 
 
अनुवाद
 
  तेरे सारे अंग धूल में मिल जाएँगे, तेरी दोनों भुजाएँ शरीर से अलग होकर पृथ्वी पर गिर जाएँगी और उस स्थिति में तू एक दुर्लभ युवती की तरह इस पृथ्वी को गले लगाकर हमेशा के लिए सो जाएगा।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.