श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 30: श्रीराम के व्यङ्ग करने पर खर का उनके ऊपर साल वृक्ष का प्रहार करना, श्रीराम का तेजस्वी बाण से खर को मार गिराना  »  श्लोक 4
 
 
श्लोक  3.30.4 
 
 
यत् त्वयोक्तं विनष्टानामिदमश्रुप्रमार्जनम्।
राक्षसानां करोमीति मिथ्या तदपि ते वच:॥ ४॥
 
 
अनुवाद
 
  ‘तूने जो यह कहा था कि मैं तुम्हारा वध करके तुम्हारे हाथसे मारे गये राक्षसोंका अभी आँसू पोछूँगा, तेरी वह बात भी झूठी हो गयी॥ ४॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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