श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 30: श्रीराम के व्यङ्ग करने पर खर का उनके ऊपर साल वृक्ष का प्रहार करना, श्रीराम का तेजस्वी बाण से खर को मार गिराना  »  श्लोक 38-39h
 
 
श्लोक  3.30.38-39h 
 
 
ततो रामस्तु विजयी पूज्यमानो महर्षिभि:॥ ३८॥
प्रविवेशाश्रमं वीरो लक्ष्मणेनाभिपूजित:।
 
 
अनुवाद
 
  तदनंतर विजयी श्रीराम आश्रम में विराजे। महर्षिगण उनकी प्रशंसा कर रहे थे, और लक्ष्मण उनकी पूजा कर रहे थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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