श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 30: श्रीराम के व्यङ्ग करने पर खर का उनके ऊपर साल वृक्ष का प्रहार करना, श्रीराम का तेजस्वी बाण से खर को मार गिराना  »  श्लोक 34-35
 
 
श्लोक  3.30.34-35 
 
 
एतदर्थं महातेजा महेन्द्र: पाकशासन:॥ ३४॥
शरभङ्गाश्रमं पुण्यमाजगाम पुरंदर:।
आनीतस्त्वमिमं देशमुपायेन महर्षिभि:॥ ३५॥
 
 
अनुवाद
 
  रघुनन्दन! इसी कारण महातेजस्वी, पाकशासन करने वाले, इन्द्र देव शरभङ्ग मुनि के पवित्र आश्रम में आये थे और इसी कार्य की सिद्धि के लिये महर्षियों ने विशेष उपाय करके आपको पञ्चवटी के इस प्रदेश में पहुँचाया था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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