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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 30: श्रीराम के व्यङ्ग करने पर खर का उनके ऊपर साल वृक्ष का प्रहार करना, श्रीराम का तेजस्वी बाण से खर को मार गिराना
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श्लोक 32
श्लोक
3.30.32
अहो बत महत्कर्म रामस्य विदितात्मन:।
अहो वीर्यमहो दार्ढॺं विष्णोरिव हि दृश्यते॥ ३२॥
अनुवाद
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वे बोले — अहो! स्वयं को जानने वाले भगवान श्री राम का यह कार्य बहुत ही महान एवं अद्भुत है, इनका बल पराक्रम भी कमाल का है और इनमें भगवान विष्णु के समान अद्भुद दृढ़ता दिखाई पड़ती है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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