श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 30: श्रीराम के व्यङ्ग करने पर खर का उनके ऊपर साल वृक्ष का प्रहार करना, श्रीराम का तेजस्वी बाण से खर को मार गिराना  »  श्लोक 29-31
 
 
श्लोक  3.30.29-31 
 
 
एतस्मिन्नन्तरे देवाश्चारणै: सह संगता:।
दुन्दुभींश्चाभिनिघ्नन्त: पुष्पवर्षं समन्तत:॥ २९॥
रामस्योपरि संहृष्टा ववर्षुर्विस्मितास्तदा।
अर्धाधिकमुहूर्तेन रामेण निशितै: शरै:॥ ३०॥
चतुर्दश सहस्राणि रक्षसां कामरूपिणाम्।
खरदूषणमुख्यानां निहतानि महामृधे॥ ३१॥
 
 
अनुवाद
 
  तब देवता चारणों के साथ एकत्रित होकर प्रसन्नता से दुन्दुभि बजाते हुए श्रीराम पर हर तरफ से पुष्पों की वर्षा करने लगे। उस समय वे यह देखकर अत्यंत आश्चर्यचकित थे कि सिर्फ़ डेढ़ मुहूर्त में ही श्रीराम ने अपने तीक्ष्ण बाणों से खर-दूषण आदि चौदह हज़ार राक्षसों को मार डाला, जो अपनी इच्छानुसार रूप बदलने में सक्षम थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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