तब देवता चारणों के साथ एकत्रित होकर प्रसन्नता से दुन्दुभि बजाते हुए श्रीराम पर हर तरफ से पुष्पों की वर्षा करने लगे। उस समय वे यह देखकर अत्यंत आश्चर्यचकित थे कि सिर्फ़ डेढ़ मुहूर्त में ही श्रीराम ने अपने तीक्ष्ण बाणों से खर-दूषण आदि चौदह हज़ार राक्षसों को मार डाला, जो अपनी इच्छानुसार रूप बदलने में सक्षम थे।