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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 30: श्रीराम के व्यङ्ग करने पर खर का उनके ऊपर साल वृक्ष का प्रहार करना, श्रीराम का तेजस्वी बाण से खर को मार गिराना
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श्लोक 27
श्लोक
3.30.27
स पपात खरो भूमौ दह्यमान: शराग्निना।
रुद्रेणेव विनिर्दग्ध: श्वेतारण्ये यथान्धक:॥ २७॥
अनुवाद
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जैसे श्वेत वन में भगवान रुद्र ने अंधक राक्षस को अपने बाण की आग से भस्म किया था, वैसे ही दंडक वन में श्रीराम के उस बाण की आग में जलता हुआ निशाचर खर पृथ्वी पर गिर पड़ा।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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