श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 30: श्रीराम के व्यङ्ग करने पर खर का उनके ऊपर साल वृक्ष का प्रहार करना, श्रीराम का तेजस्वी बाण से खर को मार गिराना  »  श्लोक 26
 
 
श्लोक  3.30.26 
 
 
स विमुक्तो महाबाणो निर्घातसमनि:स्वन:।
रामेण धनुरायम्य खरस्योरसि चापतत्॥ २६॥
 
 
अनुवाद
 
  जैसे ही उस महाबाण को छोड़ा गया, वज्र गिरने के समान भयावह शब्द हुआ। श्रीराम ने अपने धनुष को कान तक खींचकर उसे छोड़ा था। वह खर की छाती में जा लगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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