श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 30: श्रीराम के व्यङ्ग करने पर खर का उनके ऊपर साल वृक्ष का प्रहार करना, श्रीराम का तेजस्वी बाण से खर को मार गिराना  »  श्लोक 25
 
 
श्लोक  3.30.25 
 
 
स तद् दत्तं मघवता सुरराजेन धीमता।
संदधे च स धर्मात्मा मुमोच च खरं प्रति॥ २५॥
 
 
अनुवाद
 
  वह बाण बुद्धिमान् देवराज इन्द्र ने धर्मात्मा श्रीराम को दिया था। श्रीराम ने उसे अपने धनुष पर चढ़ाया और खर को लक्ष्य करके छोड़ दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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