श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 30: श्रीराम के व्यङ्ग करने पर खर का उनके ऊपर साल वृक्ष का प्रहार करना, श्रीराम का तेजस्वी बाण से खर को मार गिराना  »  श्लोक 23
 
 
श्लोक  3.30.23 
 
 
तमापतन्तं संक्रुद्धं कृतास्त्रो रुधिराप्लुतम्।
अपासर्पद् द्वित्रिपदं किंचित्त्वरितविक्रम:॥ २३॥
 
 
अनुवाद
 
  भगवान श्रीराम अस्त्र-विद्या में निपुण थे। उन्होंने देखा कि राक्षस खून से लथपथ होने के बाद भी बहुत क्रोध में उनके करीब आ रहा है। यह देखकर उन्होंने तुरंत दो-तीन कदम पीछे हट गए। ऐसा इसलिए क्योंकि बहुत पास होने पर बाण चलाना संभव नहीं था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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