श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 30: श्रीराम के व्यङ्ग करने पर खर का उनके ऊपर साल वृक्ष का प्रहार करना, श्रीराम का तेजस्वी बाण से खर को मार गिराना  »  श्लोक 20
 
 
श्लोक  3.30.20 
 
 
जातस्वेदस्ततो रामो रोषरक्तान्तलोचन:।
निर्बिभेद सहस्रेण बाणानां समरे खरम्॥ २०॥
 
 
अनुवाद
 
  तब प्रभु श्रीराम के शरीर में पसीना आ गया। क्रोध के कारण उनकी आंखों का रंग लाल हो गया। उन्होंने युद्ध के मैदान में खर पर हज़ारों बाण चलाए, जिससे वह बुरी तरह घायल हो गया और उसकी देह छिन्न-भिन्न हो गई।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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