श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 30: श्रीराम के व्यङ्ग करने पर खर का उनके ऊपर साल वृक्ष का प्रहार करना, श्रीराम का तेजस्वी बाण से खर को मार गिराना  »  श्लोक 2
 
 
श्लोक  3.30.2 
 
 
एतत् ते बलसर्वस्वं दर्शितं राक्षसाधम।
शक्तिहीनतरो मत्तो वृथा त्वमुपगर्जसि॥ २॥
 
 
अनुवाद
 
  राक्षसों के अधम! यह तेरी पूरी शक्ति है, जो तूने इस गदा के साथ दिखाई है। अब यह सिद्ध हो गया है कि तू मुझसे बहुत कमज़ोर है और व्यर्थ ही अपने बल का ढिंढोरा पीट रहा था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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