श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 30: श्रीराम के व्यङ्ग करने पर खर का उनके ऊपर साल वृक्ष का प्रहार करना, श्रीराम का तेजस्वी बाण से खर को मार गिराना  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  3.30.18 
 
 
तं समुत्क्षिप्य बाहुभ्यां विनर्दित्वा महाबल:।
राममुद्दिश्य चिक्षेप हतस्त्वमिति चाब्रवीत्॥ १८॥
 
 
अनुवाद
 
  उस महाबली रावण ने ज़ोरदार गुर्राहट करके दोनों हाथों से उस वृक्ष को उठा लिया और श्रीराम पर दे मारा। साथ ही यह भी कहा, "देखो, अब तुम मारे गए हो।"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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