श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 30: श्रीराम के व्यङ्ग करने पर खर का उनके ऊपर साल वृक्ष का प्रहार करना, श्रीराम का तेजस्वी बाण से खर को मार गिराना  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  3.30.15 
 
 
कालपाशपरिक्षिप्ता भवन्ति पुरुषा हि ये।
कार्याकार्यं न जानन्ति ते निरस्तषडिन्द्रिया:॥ १५॥
 
 
अनुवाद
 
  अर्थ : काल के वशीभूत लोग सभी इन्द्रियों से रहित हो जाते हैं, इसलिए उन्हें अच्छे और बुरे कार्यों के बीच अंतर करने का ज्ञान नहीं होता है।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.