श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 30: श्रीराम के व्यङ्ग करने पर खर का उनके ऊपर साल वृक्ष का प्रहार करना, श्रीराम का तेजस्वी बाण से खर को मार गिराना  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  3.30.13 
 
 
तमेवमभिसंरब्धं ब्रुवाणं राघवं वने।
खरो निर्भर्त्सयामास रोषात् खरतरस्वर:॥ १३॥
 
 
अनुवाद
 
  जब वन में श्रीरामचन्द्र जी इस प्रकार क्रोधपूर्ण बातें बोल रहे थे, उसी समय क्रोधित होकर खर ने भी अत्यंत कठोर स्वर में उन्हें फटकारते हुए कहा-।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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