श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 30: श्रीराम के व्यङ्ग करने पर खर का उनके ऊपर साल वृक्ष का प्रहार करना, श्रीराम का तेजस्वी बाण से खर को मार गिराना  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  3.30.11 
 
 
अद्य शोकरसज्ञास्ता भविष्यन्ति निरर्थिका:।
अनुरूपकुला: पत्न्यो यासां त्वं पतिरीदृश:॥ ११॥
 
 
अनुवाद
 
  ‘जिनका तुझ-जैसा दुराचारी पति है, वे तदनुरूप कुलवाली तेरी पत्नियाँ आज तेरे मारे जानेपर काम आदि पुरुषार्थोंसे वञ्चित हो शोकरूपी स्थायी भाववाले करुणरसका अनुभव करनेवाली होंगी॥ ११॥
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.