श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 30: श्रीराम के व्यङ्ग करने पर खर का उनके ऊपर साल वृक्ष का प्रहार करना, श्रीराम का तेजस्वी बाण से खर को मार गिराना  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  3.30.10 
 
 
अद्य विप्रसरिष्यन्ति राक्षस्यो हतबान्धवा:।
बाष्पार्द्रवदना दीना भयादन्यभयावहा:॥ १०॥
 
 
अनुवाद
 
  ‘जो अबतक दूसरोंको भय देती थीं, वे राक्षसियाँ आज अपने बान्धवजनोंके मारे जानेसे दीन हो आँसुओंसे भींगे मुँह लिये जनस्थानसे स्वयं ही भयके कारण भाग जायँगी॥ १०॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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