श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 30: श्रीराम के व्यङ्ग करने पर खर का उनके ऊपर साल वृक्ष का प्रहार करना, श्रीराम का तेजस्वी बाण से खर को मार गिराना  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  3.30.1 
 
 
भित्त्वा तु तां गदां बाणै राघवो धर्मवत्सल:।
स्मयमान इदं वाक्यं संरब्धमिदमब्रवीत्॥ १॥
 
 
अनुवाद
 
  राघव धर्म के प्रेमी हैं, अपने बाणों से खर की गदा को भेदकर मुस्कुराते हुए क्रोधित स्वर में यह बोले—।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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