श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 29: श्रीराम का खर को फटकारना तथा खर का भी उन्हें कठोर उत्तर देकर उनके ऊपर गदा का प्रहार करना और श्रीराम द्वारा उस गदा का खण्डन  »  श्लोक 8
 
 
श्लोक  3.29.8 
 
 
अवश्यं लभते कर्ता फलं पापस्य कर्मण:।
घोरं पर्यागते काले द्रुम: पुष्पमिवार्तवम्॥ ८॥
 
 
अनुवाद
 
  जैसे ऋतु के आगमन पर वृक्ष नियमित रूप से फूल लगाता है, उसी प्रकार पापकर्म करने वाला व्यक्ति भी समय आने पर अपने कर्मों का निश्चित रूप से कटु फल भोगता है।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.