श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 29: श्रीराम का खर को फटकारना तथा खर का भी उन्हें कठोर उत्तर देकर उनके ऊपर गदा का प्रहार करना और श्रीराम द्वारा उस गदा का खण्डन  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  3.29.6 
 
 
वसतो दण्डकारण्ये तापसान् धर्मचारिण:।
किं नु हत्वा महाभागान् फलं प्राप्स्यसि राक्षस॥ ६॥
 
 
अनुवाद
 
  ‘राक्षस! दण्डकारण्यमें निवास करनेवाले तपस्यामें संलग्न धर्मपरायण महाभाग मुनियोंकी हत्या करके न जाने तू कौन-सा फल पायेगा?॥ ६॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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