श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 29: श्रीराम का खर को फटकारना तथा खर का भी उन्हें कठोर उत्तर देकर उनके ऊपर गदा का प्रहार करना और श्रीराम द्वारा उस गदा का खण्डन  »  श्लोक 27
 
 
श्लोक  3.29.27 
 
 
तामापतन्तीं महतीं मृत्युपाशोपमां गदाम्।
अन्तरिक्षगतां रामश्चिच्छेद बहुधा शरै:॥ २७॥
 
 
अनुवाद
 
  श्रीरामचन्द्रजी ने उस विशाल गदा को देखा, जो मृत्यु के फंदे की तरह उनके ऊपर आ रही थी। उन्होंने तुरंत कई बाण चलाए और आकाश में ही उसे टुकड़े-टुकड़े कर दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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