श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 29: श्रीराम का खर को फटकारना तथा खर का भी उन्हें कठोर उत्तर देकर उनके ऊपर गदा का प्रहार करना और श्रीराम द्वारा उस गदा का खण्डन  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  3.29.22 
 
 
पर्याप्तोऽहं गदापाणिर्हन्तुं प्राणान् रणे तव।
त्रयाणामपि लोकानां पाशहस्त इवान्तक:॥ २२॥
 
 
अनुवाद
 
  ‘मैं अकेला ही पाशधारी यमराजकी भाँति गदा हाथमें लेकर रणभूमिमें तुम्हारे और तीनों लोकोंके भी प्राण लेनेकी शक्ति रखता हूँ॥ २२॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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