श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 29: श्रीराम का खर को फटकारना तथा खर का भी उन्हें कठोर उत्तर देकर उनके ऊपर गदा का प्रहार करना और श्रीराम द्वारा उस गदा का खण्डन  »  श्लोक 20
 
 
श्लोक  3.29.20 
 
 
सर्वथा तु लघुत्वं ते कत्थनेन विदर्शितम्।
सुवर्णप्रतिरूपेण तप्तेनेव कुशाग्निना॥ २०॥
 
 
अनुवाद
 
  तुमने अपनी झूठी प्रशंसा से अपनी लघुता को ही प्रदर्शित किया है। जैसे सुवर्ण के समान दिखने वाला पीतल, कुशाग्नि की आग में तपाने पर अपना असली रंग दिखा देता है, उसी प्रकार तुमने भी अपनी झूठी प्रशंसा के द्वारा अपने ओछेपन को ही प्रकट किया है।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.