श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 29: श्रीराम का खर को फटकारना तथा खर का भी उन्हें कठोर उत्तर देकर उनके ऊपर गदा का प्रहार करना और श्रीराम द्वारा उस गदा का खण्डन  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  3.29.15 
 
 
एवमुक्तस्तु रामेण क्रुद्ध: संरक्तलोचन:।
प्रत्युवाच ततो रामं प्रहसन् क्रोधमूर्च्छित:॥ १५॥
 
 
अनुवाद
 
  श्रीराम के ऐसा कहते ही खर क्रोधित हो उठा। उसकी आँखें लाल हो गईं। वह क्रोध के कारण अपना आपा खो चुका था। हँसते हुए वह श्रीराम को उत्तर देने लगा-
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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