वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 29: श्रीराम का खर को फटकारना तथा खर का भी उन्हें कठोर उत्तर देकर उनके ऊपर गदा का प्रहार करना और श्रीराम द्वारा उस गदा का खण्डन
»
श्लोक 14
श्लोक
3.29.14
प्रहरस्व यथाकामं कुरु यत्नं कुलाधम।
अद्य ते पातयिष्यामि शिरस्तालफलं यथा॥ १४॥
अनुवाद
play_arrowpause
‘कुलाधम! तेरी जितनी इच्छा हो, प्रहार कर। जितना सम्भव हो, मुझे परास्त करनेका प्रयत्न कर, किंतु आज मैं तेरे मस्तकको ताड़के फलकी भाँति अवश्य काट गिराऊँगा’॥ १४॥
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.