श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 28: खर के साथ श्रीराम का घोर युद्ध  »  श्लोक 7
 
 
श्लोक  3.28.7 
 
 
स सायकैर्दुर्विषहैर्विस्फुलिङ्गैरिवाग्निभि:।
नभश्चकाराविवरं पर्जन्य इव वृष्टिभि:॥ ७॥
 
 
अनुवाद
 
  यथा मेघ जल की वर्षा से आकाश को ढक देता है, उसी प्रकार श्रीरघुनाथजी ने भी अग्नि की चिनगारियों के समान दुःसह बाणों की वर्षा करके आकाश को भर दिया, जिससे कि वहाँ थोड़ी-सी भी जगह खाली नहीं रह गई।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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