श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 28: खर के साथ श्रीराम का घोर युद्ध  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  3.28.6 
 
 
स सर्वाश्च दिशो बाणै: प्रदिशश्च महारथ:।
पूरयामास तं दृष्ट्वा रामोऽपि सुमहद् धनु:॥ ६॥
 
 
अनुवाद
 
  सर्व दिशाओं और विदिशाओं को अपने बाणों से व्याप्त करने वाले उस महारथी वीर को देखकर श्रीराम ने भी अपना विशाल धनुष उठाया और समस्त दिशाओं को बाणों से आच्छादित कर दिया।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.