श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 28: खर के साथ श्रीराम का घोर युद्ध  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  3.28.5 
 
 
ज्यां विधुन्वन् सुबहुश: शिक्षयास्त्राणि दर्शयन्।
चचार समरे मार्गान् शरै रथगत: खर:॥ ५॥
 
 
अनुवाद
 
  धनुर्विद्या के निरंतर अभ्यास के बल पर प्रत्यंचा को खींचता हुआ तथा अनेक प्रकार के अस्त्रों का प्रदर्शन करता हुआ रथ पर सवार खर युद्ध के मैदान में इधर-उधर विचरण करता हुआ अनेक युद्ध कौशल दिखा रहा था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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