श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 28: खर के साथ श्रीराम का घोर युद्ध  »  श्लोक 33
 
 
श्लोक  3.28.33 
 
 
तत् कर्म रामस्य महारथस्य
समेत्य देवाश्च महर्षयश्च।
अपूजयन् प्राञ्जलय: प्रहृष्टा-
स्तदा विमानाग्रगता: समेता:॥ ३३॥
 
 
अनुवाद
 
  तब विमान पर विराजमान देवता और महर्षि हर्ष से प्रफुल्लित होकर परस्पर मिलकर हाथ जोड़कर महारथी श्रीराम के उस कर्म की अत्यधिक प्रशंसा करने लगे।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽरण्यकाण्डेऽष्टाविंश: सर्ग: ॥ २ ८॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अरण्यकाण्डमें अट्ठाईसवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ २ ८॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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