तब विमान पर विराजमान देवता और महर्षि हर्ष से प्रफुल्लित होकर परस्पर मिलकर हाथ जोड़कर महारथी श्रीराम के उस कर्म की अत्यधिक प्रशंसा करने लगे।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽरण्यकाण्डेऽष्टाविंश: सर्ग: ॥ २ ८॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अरण्यकाण्डमें अट्ठाईसवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ २ ८॥