श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 28: खर के साथ श्रीराम का घोर युद्ध  »  श्लोक 32
 
 
श्लोक  3.28.32 
 
 
प्रभग्नधन्वा विरथो हताश्वो हतसारथि:।
गदापाणिरवप्लुत्य तस्थौ भूमौ खरस्तदा॥ ३२॥
 
 
अनुवाद
 
  धनुष टूट गया, रथ चकनाचूर हो गया, घोड़े मारे गए और सारथी भी नष्ट हो गया। उस समय खर ने अपने हाथ में गदा ले ली और रथ से कूदकर भूमि पर खड़ा हो गया।॥ ३२॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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