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श्लोक 23
श्लोक
3.28.23
स दर्शनीयो बहुधा विच्छिन्न: काञ्चनो ध्वज:।
जगाम धरणीं सूर्यो देवतानामिवाज्ञया॥ २३॥
अनुवाद
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वह दर्शनीय सुवर्णिम ध्वज अनेक टुकड़ों में कटकर पृथ्वी पर गिर पड़ा, ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो देवताओं की आज्ञा से सूर्यदेव स्वयं धरती पर उतर आए हों।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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