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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 28: खर के साथ श्रीराम का घोर युद्ध
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श्लोक 22
श्लोक
3.28.22
तत: कनकपुङ्खैस्तु शरै: संनतपर्वभि:।
चिच्छेद राम: संक्रुद्ध: खरस्य समरे ध्वजम्॥ २२॥
अनुवाद
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तब अत्यंत क्रोधित होकर श्रीराम ने सोने के पंखों और झुके हुए कंधों वाले बाणों से युद्ध के मैदान में खर की ध्वजा काट दी।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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