श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 28: खर के साथ श्रीराम का घोर युद्ध  »  श्लोक 21
 
 
श्लोक  3.28.21 
 
 
सुमहद् वैष्णवं यत् तदतिसृष्टं महर्षिणा।
वरं तद् धनुरुद्यम्य खरं समभिधावत॥ २१॥
 
 
अनुवाद
 
  महर्षि अगस्त्य ने जो अत्यंत श्रेष्ठ और उत्तम वैष्णव धनुष दिया था, उसी को लेकर श्रीराम ने खर पर आक्रमण किया।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.