श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 28: खर के साथ श्रीराम का घोर युद्ध  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  3.28.19 
 
 
स शरैरर्पित: क्रुद्ध: सर्वगात्रेषु राघव:।
रराज समरे रामो विधूमोऽग्निरिव ज्वलन्॥ १९॥
 
 
अनुवाद
 
  श्रीराम के सभी अंगों में खर के बाण धँस गये थे। तब क्रोधित होकर युद्ध के मैदान में खड़े श्रीराम धुआँ न निकालने वाली प्रज्वलित अग्नि की तरह शोभा पा रहे थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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