श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 28: खर के साथ श्रीराम का घोर युद्ध  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  3.28.16 
 
 
स पुनस्त्वपरान् सप्त शरानादाय मर्मणि।
निजघान रणे क्रुद्ध: शक्राशनिसमप्रभान्॥ १६॥
 
 
अनुवाद
 
  फिर क्रोधित खर ने शत्रुओं के वध के लिए सात दूसरे बाणों को लेकर युद्ध-क्षेत्र में श्री राम के प्राणों को हरने वाला प्रहार किया, जो इंद्र के वज्र की तरह चमकते थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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