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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 28: खर के साथ श्रीराम का घोर युद्ध
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श्लोक 15
श्लोक
3.28.15
ततोऽस्य सशरं चापं मुष्टिदेशे महात्मन:।
खरश्चिच्छेद रामस्य दर्शयन् हस्तलाघवम्॥ १५॥
अनुवाद
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तब उस राक्षस खर ने, महात्मा श्रीराम के धनुष को बाणों समेत, मुट्ठी पकड़ने के स्थान से ही काटकर अपनी हाथों की चपलता दिखाई।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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