वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 28: खर के साथ श्रीराम का घोर युद्ध
»
श्लोक 14
श्लोक
3.28.14
तत: सूर्यनिकाशेन रथेन महता खर:।
आससादाथ तं रामं पतङ्ग इव पावकम्॥ १४॥
अनुवाद
play_arrowpause
तत्पश्चात् सूर्य के समान प्रकाशमान और विशाल रथ में सवार होकर खर श्रीरामचन्द्रजी के पास उस प्रकार गया जैसे कोई पतंगा आग की ओर चला जाता है।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.