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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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श्लोक 8
श्लोक
3.27.8
शरधारासमूहान् स महामेघ इवोत्सृजन्।
व्यसृजत् सदृशं नादं जलार्द्रस्येव दुन्दुभे:॥ ८॥
अनुवाद
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उसने आते ही विशालकाय मेघ के समान बाणों की वर्षा प्रारम्भ कर दी, जिससे ऐसा लग रहा था जैसे जल से भीगा हुआ नगाड़ा विकट गर्जना कर रहा हो।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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