श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 27: त्रिशिरा का वध  »  श्लोक 7
 
 
श्लोक  3.27.7 
 
 
त्रिशिरास्तु रथेनैव वाजियुक्तेन भास्वता।
अभ्यद्रवद् रणे रामं त्रिशृङ्ग इव पर्वत:॥ ७॥
 
 
अनुवाद
 
  त्रिशिरा ने अपने तेजस्वी रथ पर सवार होकर रणभूमि में श्रीराम पर हमला किया। उस समय वह तीन चोटियों वाले पर्वत जैसा दिखाई पड़ रहा था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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