श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 27: त्रिशिरा का वध  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  3.27.5 
 
 
प्रहृष्टो वा हते रामे जनस्थानं प्रयास्यसि।
मयि वा निहते रामं संयुगाय प्रयास्यसि॥ ५॥
 
 
अनुवाद
 
  यदि राम द्वारा मैं हारा गया तो आप प्रसन्नतापूर्वक अपने घर लौट जाना अनिवार्यतः हैं। और यदि मैंने राम को हरा दिया है, तो आप उनसे युद्ध करने को अवश्य तैयार होना चाहिए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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