श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 27: त्रिशिरा का वध  »  श्लोक 17-18h
 
 
श्लोक  3.27.17-18h 
 
 
सायकैश्चाप्रमेयात्मा सामर्षस्तस्य रक्षस:॥ १७॥
शिरांस्यपातयत् त्रीणि वेगवद्भिस्त्रिभि: शरै:।
 
 
अनुवाद
 
  उसके पश्चात् अप्रमेय आत्मा वाले प्रभु श्रीराम जी क्रोध में भरकर तीन तीव्रगामी और विनाशकारी बाणों द्वारा उस राक्षस के तीनों सिरों को काट गिराया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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