श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 27: त्रिशिरा का वध  »  श्लोक 16-17h
 
 
श्लोक  3.27.16-17h 
 
 
रामश्चिच्छेद बाणेन ध्वजं चास्य समुच्छ्रितम्।
ततो हतरथात् तस्मादुत्पतन्तं निशाचरम्॥ १६॥
चिच्छेद रामस्तं बाणैर्हृदये सोऽभवज्जड:।
 
 
अनुवाद
 
  तदनन्तर श्रीराम ने एक बाण से उसकी ऊँची ध्वजा काट डाली। फिर जब वह उस नष्ट हुए रथ से कूदकर भागने लगा, तभी श्रीराघवेन्द्र ने अनेक बाणों द्वारा उस राक्षस की छाती को छेद डाला, जिससे वह निष्प्राण होकर जमीन पर गिर पड़ा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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