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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 27: त्रिशिरा का वध
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श्लोक 13-14h
श्लोक
3.27.13-14h
एवमुक्त्वा सुसंरब्ध: शरानाशीविषोपमान्॥ १३॥
त्रिशिरोवक्षसि क्रुद्धो निजघान चतुर्दश।
अनुवाद
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श्रीराम ने क्रोधित होकर त्रिशिरा की छाती पर विषैले सांपों के समान चौदह बाण मारे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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