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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 27: त्रिशिरा का वध
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श्लोक 11
श्लोक
3.27.11
ततस्त्रिशिरसा बाणैर्ललाटे ताडितस्त्रिभि:।
अमर्षी कुपितो राम: संरब्ध इदमब्रवीत्॥ ११॥
अनुवाद
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उस समय त्रिशिरा नाम के राक्षस ने तीन बाणों से श्रीरामचन्द्र जी के ललाट पर प्रहार किया। श्रीराम ने उसकी यह उग्रता सहन नहीं की। वे क्रोधित होकर और गुस्से में भरकर इस तरह बोले-।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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