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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 27: त्रिशिरा का वध
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श्लोक 1
श्लोक
3.27.1
खरं तु रामाभिमुखं प्रयान्तं वाहिनीपति:।
राक्षसस्त्रिशिरा नाम संनिपत्येदमब्रवीत्॥ १॥
अनुवाद
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खर को भगवान श्रीराम की ओर जाते देख सेनापति राक्षस त्रिशिरा झट से उसके पास पहुँच गया और इस तरह बोला—।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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