श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 26: श्रीराम के द्वारा दूषण सहित चौदह सहस्र राक्षसों का वध  »  श्लोक 9-10
 
 
श्लोक  3.26.9-10 
 
 
स च्छिन्नधन्वा विरथो हताश्वो हतसारथि:॥ ९॥
जग्राह गिरिशृङ्गाभं परिघं रोमहर्षणम्।
वेष्टितं काञ्चनै: पट्टैर्देवसैन्याभिमर्दनम्॥ १०॥
 
 
अनुवाद
 
  धनुष टूट जाने, घोड़ों और सारथि के मारे जाने से रथहीन हुआ दूषण ने पर्वत की चोटी जैसे रोमांचकारी एक परिघ हाथ में लिया, जो सोने के पत्तरों से मढ़ा हुआ था। वह परिघ देवताओं की सेना को भी कुचल डालने वाला था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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