श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 26: श्रीराम के द्वारा दूषण सहित चौदह सहस्र राक्षसों का वध  »  श्लोक 5-6h
 
 
श्लोक  3.26.5-6h 
 
 
तत: क्रोधसमाविष्ट: प्रदीप्त इव तेजसा॥ ५॥
शरैरभ्यकिरत् सैन्यं सर्वत: सहदूषणम्।
 
 
अनुवाद
 
  तब क्रोध से भर गए और तेज से चमकने लगे श्रीराम ने दूषण सहित समस्त राक्षस-सेना पर चारों ओर से बाणों की वर्षा प्रारंभ कर दी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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